आखिर क्यों जरुरी है रिश्ते निभाना?

इंसान समाज में रहने वाला एक ऐसा अनोखा जीव है जो अगर लोगों से पारस्परिक संबंध और आपसी सहयोग कायम न करे, या फिर एक दूसरे का समर्थन हासिल नहीं करे तो बहुत जल्द उसके हालात सख्त और ज़िन्दगी अजीरन बन जाती है।


किसी से भेंट मुलाकात ना करने के चलते वह जिन्दगी के सफर में तन्हा अकेला पड़ जाता है और इस तरह उसके सफर की कठिनाइयां समय गुजरने के साथ बढ़ती चली जाती हैं। एक दूसरे से मिलना-

जुलना और रिश्ते निभाना दुनिया के हर इन्सान की मजबूरी और उसके प्राकृतिक स्वभाव का अटूट हिस्सा है जिसके बिना उसके जीवन में खुशनुमा हालात की गाड़ी पटरी से कभी भी उतर सकती है।


मतलब ये कि जिंदगी में रिश्ते निभाना बेहद ज़रूरी है। आइए जानते हैं कि मानव जीवन में आपसी संबंधों का इतना ज़्यादा महत्व क्यों है?


दुनिया में जो भी इंसान एक दूसरे से प्रेम करते हैं उनमें या तो वे सामने वाले के ज्ञान, हुस्न या आकर्षण, दौलत, सामाजिक स्तर, अच्छे व्यवहार और बरताव या वर्चस्व शामिल रहा करते हैं। 


कोई किसी लड़की या लड़के के हुस्न पर फिदा हो जाता है तो कोई दौलत देखकर दोस्त बनाता है। कोई किसी के सामाजिक स्तर से इतना प्रभावित हो जाता है कि उसके पीछे खिंचा चला आता है तो कोई किसी की निर्मल बोली और बेहतरीन आचरण एवं व्यवहार पर दिल हार बैठता है।



यह सब प्रेम के स्रोत और कारणों में शुमार किए जाने वाले कुछ ऐसे पहलू हैं जिससे दुनिया का कोई इंसान अछूता नहीं रह सकता। वह किसी न किसी सूरत में किसी से मोहब्ब्त ज़रूर करता है। प्रेम एक सम्मोहक एहसास है। आदमी न चाहते हुए भी किसी की मोहब्ब्त के जाल में उलझ कर उसकी ओर आकर्षित होता चला आता है।


वह हर हाल में प्रेम के इस सम्मोहन या मोहमाया में गिरफ्तार हो जाता है। दुनिया के तमाम रिश्तों में सबसे बड़ा रिश्ता इन्सानियत है जिसका इंकार कोई भी शख्स नहीं कर सकता। जिस किसी ने भी इस रिश्ते का इनकार कर दिया वह सही मायनों में इंसान ही नहीं है।

 

यह रिश्ता ही कुछ ऐसा है जो सभी प्रकार के धर्म, वर्ग, समुदाय, जाति व्यवस्था, सामाजिक स्तर, सूरत और दौलत की मोह माया से अपना दामन बचाकर सिर्फ और सिर्फ किसी इंसान को इंसान होने के आधार पर काम करता है।जैसे राह चलते आपने किसी अजनबी शख्स को कुछ पैसे थमा दिए और उसे दान देकर इंसानियत का फर्ज निभा दिया


आपने बगैर किसी फायदे को मद्देनजर रखकर किसी गरीब या बेसहारे व्यक्ति की मदद कर दी और रिश्ते में वह आपका सगा भी नहीं था। वह आपके लिए अजनबी था लेकिन केवल इंसानियत की बिना पर आपने उसकी मदद कर दी। यही इंसानियत का रिश्ता कहलाता है।


दुनिया के तमाम हिस्सों में कुछ न कुछ व्यक्तिगत हित या फायदे जुड़े हो सकते हैं लेकिन इंसानियत का रिश्ता ही एकमात्र ऐसा रिश्ता है जिसमें आदमी किसी इंसान से केवल इंसानियत के आधार पर प्रेम करता है। हर शख्स को वह ईश्वर की रचनाओं में एक बेहतरीन रचना शुमार करता है और इस तरह उसके इस रिश्ते में कभी कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती।


इसके बदले में समाज के अन्य लोग भी उसे बेवजह प्यार किया करते हैं और उस पर जान छिड़कने हुए नहीं थकते। इस तरह इस रिश्ते में आजीवन कोई खटास पैदा नहीं होती और व्यक्ति मानव प्रेमी बनकर सबकी आंखों का तारा बन जाता है। 


दुनिया में सभी रिश्तों का विलय इंसानियत के रिश्ते में होता है लेकिन रिश्तो की फेहरिस्त में मां की ममता यानी अपनी संतान के प्रति उसका प्यार और लगाव सर्वोपरि स्वीकार किया जाता है।


मां किसी भी बच्चे को अपनी इसी ममता के चलते अपने आंचल के साये में जगह देती है और उसे अपनी ममता की घनी छांव में रखती है। वह बच्चे की तकलीफ को खुद अपनी तकलीफ समझती है। नन्ही सी उम्र में उस बच्चे को उसकी मां से ज्यादा कोई प्यार भी नहीं कर सकता। वह उसे चलने फिरने बोलने और हुनर सीखने पर आमादा करती है।


मां अगर गरीब है तो वो खुद भूखी रह जाती है, मगर अपने बच्चे को खाली पेट कभी सोने नहीं दे सकती और हर हाल में उनका उम्दा और खास ख्याल रखती है। मां किसी भी आफत या मुसीबत को अपने गले डालकर अपने बच्चों को उससे सुरक्षित रखने की कोशिश करती है।


यही नहीं बल्कि बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता है, वक्त के साथ मां का प्यार भी कम नहीं होता और बचपन से जवानी तक उसकी मोहब्बत उसी तरह निस्वार्थ भाव से बरकरार रहती है। उसमें किसी तरह की कोई कमी दर्ज नहीं की जाती।


इसलिए मां के प्रेम और रिश्ते की कद्र करना हम सबका परम कर्तव्य होना चाहिए क्योंकि यह बात तय है कि दुनिया में आपकी मां से ज्यादा आपको कोई प्यार नहीं कर सकता।


पिता का रिश्ता हमारे जीवन का अटूट रिश्ता है!



दुनिया में एक पिता ही वह हस्ती है जो अपनी औलाद के लिए रात दिन एक कर आजीविका की तलाश में जुटी रहती है। उसे केवल अपने परिवार की फिक्र सताती रहती है। एक पिता अपनी संतान के अगाढ़ प्रेम भाव की वजह से उसके भविष्य और उज्जवल भविष्य के निर्माण के लिए लगातार प्रयास करता रहता है।


वो दिन भर पसीना बहाता है और अपने उसी पसीने की कीमत से अपने परिवार के लिए भरण पोषण का जुगाड़ करता है। परिवार की इस व्यवस्था को चलाने के लिए वह अपने दिन का चयन और रातों की नींद हराम कर देता है। यह सब कुछ वह अपनी संतान के प्रेम के लिए न्योछावर कर देता है।


दुनिया में कोई भी ऐसा इंसान नहीं है जो यह चाहे कि आप उससे ज्यादा कामयाब हो जाएं लेकिन पिता ही वह शख्सियत है जो अपने बच्चों को खुद से ऊपर जाने की सच्ची आशा रखता है और उनके उज्जवल एवं सुखमय भविष्य के लिए दुआ व कामना करता रहता है। यही माता पिता जब वृद्धावस्था के पड़ाव पर पहुंचते हैं तो कुछ लोग निर्मम बरताव कर उन्हें खुद से अलग कर देते हैं।


पति पत्नी के रिश्ते की जड़ में गर्म पानी न डालने दें

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जब आप इस दुनिया में आए तो आप अकेले थे। इस अकेलेपन को समझकर इसे दूर करने के लिए आपके माता पिता ने आपकी शादी रचा कर आपको एक जीवनसाथी का तोहफा दे दिया। इस तोहफे की हर इंसान को कदर करनी चाहिए।


यह रिश्ता बहुत नाज़ुक और कोमल माना जाता है जिसमें ज़रा सी गलतफहमी सारा बना बनाया खेल बिगाड़ कर रख सकती है। कुछ ईर्ष्यालु लोग अपने सीने में जल रही नफरत की आग के चलते ऐसा कभी नहीं चाहते कि पति पत्नी प्यार के गहरे सागर में डूबे रहें।


इसलिए वे अपनी चालबाजियों से आपको इस सागर से निकाल कर नफरत और द्वेष की भट्टी में झोंकना चाहते हैं। ऐसे लोगों की बातों में कभी ना आएं जो पति पत्नी के रिश्तों के बीच भ्रम और गलतफहमी पैदा करते हैं। जब इस तरह के कोई हालात पैदा हों तो पति पत्नी को


एक दूसरे से मन मुटाव के बजाय आपसी बातचीत से मामले का हल निकालना चाहिए। क्योंकि बातचीत के रास्ते से गुज़रे बिना समझौते की मंजिल तक कभी पहुंचा नहीं जा सकता। बातचीत के जरिए ही पति पत्नी के भ्रम दूर हो सकते हैं और किसी तीसरे शख्स की चालबाजियों का पता लगाया जा सकता है।


दोस्ती का रिश्ता भी होता है मजबूत

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दो दोस्त जब एक साथ बैठते हैं और कुछ बात भी नहीं करते फिर भी उन्हें किसी किस्म की बोरियत का एहसास नहीं होता तो उनके बारे में कहा जाता है कि उनके बीच गहरी दोस्ती का रिश्ता पनप रहा है। दोस्ती का ये रिश्ता और लगाव स्वार्थ से ऊपर उठकर एक दूसरे के प्रति समर्पण भाव रखने का होता है।


सच्चा दोस्त वही होता है जो किसी की मुसीबत में काम आ सके और उसके बदले में अपने दोस्त से किसी बदले या फायदे की उम्मीद भी न जोड़े। जिसने एक सच्चे दोस्त को पाकर उसे खो दिया, वास्तव में वह दुनिया का सबसे बदनसीब इंसान है।


हर रिश्ता विश्वास की नींव पर खड़ा होता है, विश्वास को रखें हर हाल में बहाल: किसी भी रिश्ते में विश्वास का होना बेहद जरूरी होता है। जब भी आप किसी से रिश्ता निभाते हैं तो उसमें केवल प्रेम नहीं होता बल्कि उसका लगाव विश्वास से भी होता ह। रिश्ता जितना गहरा होता है, उतने ही गहरे विश्वास की मांग करता है।


जैसे, दो लोगों के बीच अगर व्यापारिक सम्बन्ध हैं तो शुरूआत में दोनों पक्षों के बीच विश्वास की कमी रहती है लेकिन जैसे जैसे समय गुजरता जाता है, दोनो में एक दूसरे के प्रति सहयोग और समर्पण का जज्बा पैदा होता है। उनके बीच दिन गुजरने के साथ विश्वास की डोर और ज़्यादा मजबूत हुआ करती है।


मतलब ये कि अगर किसी के साथ आपने अच्छा बरताव किया है तो यह रिश्तों में विश्वास को और ज़्यादा सुदृढ़ करने का काम करता है। दुनिया के हर रिश्ते को गलती और गलतफहमी उसी तरह चट कर जाते हैं जैसे दीमक लकड़ी को खा जाता है। इसलिए हमें किसी भी रिश्ते को मजबूत करने के लिए थोड़ा विनम्रता लाकर उसे गलतफहमी के दीमक से बचाना चाहिए और इसकी जड़ में गर्म पानी पड़ने से बचाना चाहिए ताकि रिश्तों का पेड़ हमेशा हरा भरा और सायादार रह सके।


जब तक रिश्तों के पेड़ हरे भरे नहीं होंगे, जीवन में हमें वास्तविक खुशियों के साए में पनाह नहीं मिल सकती। इसलिए इस पेड़ की जड़ में कुछ नहीं तो हमें कभी न कभी तो साफ और स्वच्छ पानी डालने की कोशिश करनी ही चाहिए ताकि रिश्तों के पेड़ मजबूत बने रहकर अपना फर्ज अंजाम देते रहें और हमारे आंगन में खुशियों के साए प्रदान करते रहें। 

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