क्या ज़मीन पर हवा बदल रही है??

एक सुबह जब आँख बेदार हुई, मेरी निगाह मोबाइल स्क्रीन के नोटिफिकेशन कॉलम पर जा थमी। नज़रो के इस जमाव ने मुझे बुरी तरह विचलित और परेशान कर दिया था। परेशानी का सबब और कुछ न रहकर अपने शहर के वायु प्रदूषण का वह माप था जिसे 162 दर्शाया गया था। खतरनाक हद तक बढ़ रहे हवा के इस प्रदूषण के स्तर को मैंने एक बार नहीं बल्कि अनेक बार देखा था। हवा में फैले गर्दोगुबार और विषैले तत्वों की भयावहता से दुनियाभर में हर रोज़ जाने कितने लोग मौत के घाट उतर जाते हैं। 


वास्तव में, बेचैनी इंसानी प्रवृत्ति और फितरत का हिस्सा है। बेचैनी जब तक न हो आदमी न तो खतरों को भांप सकता है, न माप सकता है। कहने का मतलब ये कि बेचैनी इंसान के लिए हर बार घातक सिद्ध नहीं होती बल्कि कई बार जागरूकता की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देती है। पहले हम समझते रहे कि चलो! हवा में फैले प्रदूषण के इस स्तर अर्थात Air Quality Index (AQI) से शहर की सरहद से दूर स्थित स्थानों के पर्यावरण विशेषज्ञ निपट लेंगे और अपनी बुलन्दतरीन सोच से कोई न कोई कदम उठाकर वायु प्रदूषण को किसी न किसी तरह कदम पीछे लेने पर मजबूर कर देंगे। लेकिन यह सब कुछ मन का बहलावा और छलावा सिद्ध हुआ। वास्तविकता ये है कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र से गहरी संबद्धता रखने वाला ये मसला बेहद संवेदनशील, गंभीर और खतरनाक रूप धारण कर चुका है जिसने न सिर्फ इंसानों बल्कि बहुत से जानदारों को भी अपना शिकार बनाया है। इसके लिए आम जनमानस का जागरूक होना बेहद ज़रूरी है क्योंकि ये दुनिया हमारा मसकन है और अपने आशियाने में गंदगी को पनपने का अगर हमने मौका दिया तो हमें भयंकर परिणाम भुगतने के लिए मुंतज़िर रहना होगा। प्रकृति से खिलवाड़ और हाथ पर हाथ धरे बैठने के बीच एक समय ऐसा भी आ सकता है कि मामला हमारे वश से बाहर निकल जाए और हम हाथ मलते ही रह जाएं। अभी समय है, इसलिए हमें चाहिए कि हम वायु प्रदूषण के कारणों की गहनता से पड़ताल करें और व्यक्तिगत तौर पर ऐसे घातक कारक एवं कारकों से यथासम्भव दूरी बनाए रखने का ज़ोरदार प्रयास करते रहें। 


मऊ शहर में गाड़ियों के हुजूम और उनसे लगातार खारिज होते धुएं, नव निर्माण, आधुनिकरण के नाम पर वृक्षों से दुश्मनी और व्यक्तिगत लाभ व प्रलोभन के चलते उन्हें ज़मींदोज़ करने, बड़े-बड़े राज्यमार्गों के निर्माण व चौड़ीकरण, धूल और गर्दोगुबार, खेतों में पराली जलाने, बीजाणुओं की सड़न, घरों के भीतर के वायु प्रदूषण और कूड़ेदानों में लंबे समय तक जमा रहने वाले कूड़े-करकट ने खतरनाक हद तक शहर की फिज़ा को ज़हरीली बना दिया है जिसके चलते आमतौर पर लोग घरों में बीमार या अस्पतालों का रुख कर रहे हैं। शहर के वायु प्रदूषण का स्तर फिलहाल 162 बताया गया है जो भयावह है और जिस पर अगर ज़िला प्रशासन, नगर पालिका और आम लोगों ने ध्यान नहीं दिया तो उन्हें भविष्य में मज़ीद दुश्वारियाँ झेलने के लिये तैयार रहना होगा!!

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