इंसाफ हो तो ऐसा...!!!
आरोपी एक पन्द्रह साल का बालक था जिसे पुलिस ने एक स्टोर से चोरी के इल्ज़ाम में अपने शिकंजे में ले लिया था। गिरफ्तारी के बाद उसने गार्ड की पकड़ से भागने की भरपूर कोशिश की थी जिस दौरान स्टोर का एक शेल्फ भी टूट गया था। न्यायाधीश ने फर्द-ए-जुर्म सुनकर लड़के से पूछा, "तुमने वाक़ई कुछ चुराया था?" "ब्रेड और पनीर का पैकेट।" लड़के ने हामी भरते हुए जवाब दिया। "आखिर क्यों?" "मुझे सख्त ज़रूरत थी।" लड़के ने स्पष्ट उत्तर दिया। "तो खरीद लेते...?" "मेरे पास पैसे नहीं थे।" "घर वालों से ले लेते?" "घर पर सिर्फ बीमार और बेरोज़गार माँ है, और ब्रेड और पनीर मैंने उसी के लिए चुराई थी।" "तुम कुछ काम नहीं करते?" "करता था, एक कार वाश में। माँ की देखभाल के लिए एक दिन ग़ैरहाज़िर रहने पर मुझे काम से बेदखल कर दिया गया।" "तुम किसी की मदद मांग लेते?" "सुबह से मदद ही तो मांग रहा था, किसी का दिल नहीं पसीजा।" जिरह समाप्त हुई और न्यायाधीश ने फैसला सुनाना शुरू कर दिया। "चोरी और खासतौर से रोटी की चोरी बहुत भयान